नमस्कार भारत मेरे साथ चैनल में आप सभी दृश्कों का स्वागत करते है। आज बात करेंगे ऐसे व्यक्तिव्त की जो हिन्दू मुस्लमान दोनों उपनाम अपने नाम के साथ लगाते हैं। ये ऐसे ही उपनाम नहीं लगाते हैं इन्होने अपने क्षेत्र में शहीदों को लेकर ऐसा काम किया की शहीदों का सम्मान बच्चा बच्चा के दिलों में है। इनका नाम है पंडित चेतन बिस्मिल इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के खुर्जा क्षेत्र में हुआ है। ये एक मध्यमवर्गी परिवार से आते हैं। इनकी शिक्षा दीक्षा खुर्जा में ही हुयी है बचपन से इन्हे क्रांतकारी वाले नाटक करने का शौक था, लेकिन जैसे जैसे वो बड़े होते गए तो इन्हे घर की जिम्मेदारियों में इतना व्यस्त हो गए की नाटक की तरफ रुख ही नहीं कर पाए। और पंडित चेतन बिस्मिल जी नाटक की दुनिया से दूर हो गए। और अपने व्यापर में व्यस्त हो गये।
पर कहतें हैं न की समय करवट बदलता रहता है। किस उम्र में क्या कोई करने लगे किसी को कुछ पता नहीं होता है वैसे ही अचानक वो दिन पंडित चेतन बिस्मिल की ज़िंदगी में आया। उनकी धीरे धीरे जैसे समय के साथ उम्र बढ़ती गयी और अचानक एक दिन किसी काम से बच्चों के स्कूल चले आये। स्कूल में इनकी बात पर इतना महत्त्व नहीं दिया गया तो वो स्कूल की शिकायत लेकर अपने क्षेत्र के थाने खुर्जा चले गये। पर वो शिकायत करने गये थे किन्तु शिकायत तो नहीं कर सके , लेकिन वहां से एक व्यापारी क्रांतकारी समाजसेवी बन कर लोटे। बताते हैं की पंडित चेतन बिस्मिल को समाज सेवा के लिए आग्रह करने वाले और कोई नहीं बल्कि थाने के थानाध्यक्ष महोदय जी ही थे।
और फिर वो अपने क्षेत्र में इतना काम किया क्रांतकारी समाज जातिधर्म पर की वहां के लोगों ने पंडित चेतन से पंडित चेतन बिस्मिल उनका नाम रख दिया और पंडित चेतन बिस्मिल ने अपने खुर्जा बुलंदशहर के सभी चौक चौराहों के नाम बदल कर देश की आज़ादी के लिए जिन शहीदों ने अपने प्राणों की बलिदान दिया था उन पर रखा है और उनकी प्रतिमा भी स्थापित भी किया है।
और इन्होने क्रांतकारियों के ऊपर बहोत सारे गीत भी लिखे हैं।
जाऊँगा खली हाँथ मगर ये दर्द साथ ही जाएगा।
जाने किस दिन हिन्दोस्तान आज़ाद वतन कहलायेगा।।
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