BharatMereSaath Blog दूधेश्वर नाथ मंदिर गाज़ियाबाद में रावण करता था पूजा

दूधेश्वर नाथ मंदिर गाज़ियाबाद में रावण करता था पूजा



नमस्कार भारत मेरे साथ चैनल के सभी दर्शको का स्वागत करते हैं। भारत देश के उत्तर प्रदेश में एक ऐसी जगह जहाँ पर रावण के पिता विश्रवा ने स्थापित की थी भगवन शिव की शिवलिंग और जहाँ रावण ने की थी पूजा भगवन शिव की। इस मंदिर का नाम है दूधेश्वर नाथ मंदिर जो गाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश में है। जानते है इस मंदिर का इतिहास यहाँ के महंत नारायण गिरी महाराज से।

दूधेश्वर नाथ मंदिर का एक बहुत बड़ा इतिहास है। कहा जाता है किजो कशी विश्वनाथ है ज्योतिर्लिंग के रूप में उसका उप ज्योतिर्लिंग इसको मानते हैं। जैसे मान लीजिए कि वहां पर दुर्गा कुंड है अन्नपूर्णा माता जी है संकट मोचन हनुमान जी और काल भैरव हैं टॉप ऐसे ही यहाँ पर गाज़ियाबाद के अंदर में दुर्गा मंदिर जो माता त्रिपुरा सुंदरी बाला सुंदरी माता जी है जो माँ भगवती जो दूधेश्वर कि पत्नी के रूप में हैं। और काल भैरव प्रेम नगर में और संकट मोचन हनुमान जी जो चपला मंदिर है तो यह चारों यहाँ पर होने से जो है सिद्धपीठ होता है।
और ऐसा माना जाता है कि रावण के पिता विश्रवा ने इस लिंग कि स्थापना किया है और रावण कुम्भकरण इन सबने इस मंदिर में पूजा किया है। और रावण ने पहले शीश अपना इस मंदिर पर भगवन शिव को अर्पित किया है।
कालांतर में जब योग बदलता है तो कुछ समय के बाद में यहाँ पर बहुत बड़ा टीला यह कह लो कि पहाड़ जैसा बन गया।
फिर यहाँ पर केला गांव जो गाज़ियाबाद के आसपास जितने भी गॉंव कि जमीन है वो केला गांव की है। तो विश्रवा ऋषि का केला गांव जो छोटा सा गांव था विश्रवा का एक तरह से पूरा वो कैलाश था। और इसकी जो है गंगा जी जिसको सभी लोग छोटो बहन बोलते है हरण नदी इसको अब हिंडन नदी कहा जाता है जो हिमालय से निकली है ब्रह्मा जी की पुत्री हैं।। उसके किनारे पर यह दूधेश्वर नाथ का मंदिर था। तो बताते हैं की एक गाय आकर अपने आप अपना दूध यहाँ पर निकालती थी केला गांव की गाय तो उससे लोगों ने यहाँ पर खुदाई किया की भाई यही पर ही यह गाय जो हमेशा दूध क्यों गिरती है। तो यहाँ पर खुदाई किया गया तो यहाँ पर खुदाई किया गया तो यहाँ पर शिवलिंग दूधेश्वर यहाँ पर प्रकट हुए स्वयंभू शिवलिंग उप ज्योतिर्लिंग के रूप में तो स्वयंभू शिवलिंग की यहाँ पर ऋषिमुनियों ने पूजा किया तो ऋषि लिंग और मनुष्य द्वारा पूजित देवलिंग है
सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं, पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।
जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्।।

तो जन्म जन्म के दुःख को विनाश करने वाले है और बोले “सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं,” तो भगवन शिवलिंग का पूजा करने से विशेष कर सब प्रकार का सुख प्राप्त होते हैं। यहाँ पर जो है हमारे जूना आखाड़े की परम्परा में 15 महंत हो गए 13 जो हैं सिद्ध संत हो गए हैं तो यहाँ पर 28 समाधि है।
कहते हैं कि शिव का वास श्मशान में होता है या फिर कैलाश में तो श्मशान कैसा होना चाहिए पवित्र श्मशान तो पवित्र श्मशान यहाँ है तो यहाँ पर जो शिव का वास है और बहुत सिद्ध समाधि गरीब गिर जी, गौरी गिरी जी महाराज बहुत सी सिद्ध समाधियाँ यहाँ पर है।
प्राचीन समय में कुआँ था यहाँ पर जो तीन रंग का जल बदलता था यहाँ पर कई गुफाएं बनी हुयी हैं तो अलग अलग जगह पर जाती थी विसर्ग वगैरह में तो अपने यहाँ पर जो दुशेश्वर भगवान को जो दोष विशेष से गाय उत्पत्ति हुयी थी उसका लम्बू गाय अभी भी उनका परिवार गाय कि 60 गायें अभी भी यहाँ पर है तो यह पूरा प्राचीन परम्परों कि हिसाब से श्री पंच दसम जूना अखाडा कि व्यवस्था से हमारा यह प्रावधान वगैरह सब होता है तो इस तरह से दूधेश्वर भगवान का जो है इस मंदिर का बहुत प्राचीन इतिहास है।

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