– Dive Deep into the Journey….
विषय :- अलोक शुक्ला
प्रश्न :- अलोक शुक्ला ने सिनेमा जगत छोड़कर रंगमंच ही क्यों चुना ?
उत्तर :- अलोक शुक्ला की रंगमंच की शुरवात उनके जिला रीवा मध्यप्रदेश के एक सरकारी स्कूल से हुयी थी। अलोक शुक्ल जब अपनी प्रारम्भिक शिक्षा 11th की ग्रहण कर रहे थे और उनके स्कूल में प्रोग्राम होते थे लेकिन रंगमंच में ऐसा कुछ भी नहीं होता था तभी उनको लग रहा था की नाटक में कुछ करना चाहिए। उसी समय अलोक शुक्ला की ज़िंदगी में एक मोड़ आता है और वर्ष 1986 में गणेश चतुर्थी में इनकी मुलाकात नाटक प्रेमी सईदी अहमद से हुयी और उन्होंने इनको नाटक करने के लिए प्रेरित किया। और इन्होने उनके निर्देशन में एक नाटक में एक छोटा सा किरदार निभाया। और उस किरदार को देख कर जनता ने उनके काम को लेकर बहोत ही प्रशंसा किया और वही से अलोक शुक्ला के जीवन में रंगमंच की शुरुआत हुयी| और फिर रंगमंच को रीवा मध्य प्रदेश में 10 वर्ष , मुंबई में 15 वर्ष इसके बाद अब वो दिल्ली में रंगमच लगातार कर रहे हैं।अलोक शुक्ला खुद ही नाटक को लिखते हैं फिर नाटक को जनता के बीच प्रस्तुत भी करते हैं। अलोक शुक्ला बहोत अच्छे निर्देशक , लेखक और कलाकार हैं।।
प्रश्न :- सिनेमा के कलाकार और रंगमंच के कलाकार में कोई फर्क है या नहीं ?
उत्तर:- सिनेमा और रंगमंच में बहोत बड़ा फर्क है क्यूंकि सिनेमा टेक्निकल है और रंगमंच एक क्रेटिव फील्ड है रंगमंच करने के लिए कलाकार को पूरी तरह से अपने आपको तैयार करना होता हैं कलाकार की आवाज, एक्सप्रेशन, और शारीरिक भाषा पर उसे काम करना होता है। क्यूंकि रंगमंच के कलाकार को जनता के सामने खुले मंच में मंचन करना होता है मंचन करते समय आप रिटेक नहीं ले सकते हैं वहां पर कलाकार इम्प्रॉवाइज़ कर सकता है। लेकिन वंही सिनेमा जगत में ये नहीं होता है उसमे एक्टिंग है ही नहीं वो पूरी तरह से टेक्निकल पर आधारित है। जब तक कलाकार अपनी कला को सही से प्रस्तुत नहीं कर पाए गए कैमरा के सामने तब तक रिटेक लेते रहते है एक फिल्म बनने में बहोत सी वस्तुओं का प्रयोग होता है। और यदि आपको सिनेमा जगत में सफलता को हासिल करनी है तो एक्टिंग के साथ साथ आपका व्यवहार, आपका चरित्र और दूसरे टीम मेम्बर का सम्मान करना बहोत जरूरी होता है तभी आप सिनेमा जगत में सफल हो पाएंगे।।
प्रश्न:- जो लोग रंगमंच में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं उन्हें क्या करना चाहिए ?
उत्तर:- अलोक शुक्ला रंगमंच के कलाकारों को लेकर कहते हैं कि कलाकार को हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए। यदि जो कलाकार सकारात्मक नहीं है। तो उस कलाकार के सामने बहुत ज्यादा स्ट्रगल होता है क्यूंकि यदि कलाकार नकारत्मक है तो वो आगे सफल नहीं हो पाए गा।।
अलोक शुक्ला बताते हैं कि यदि आप लेखक बनना चाहते हैं वर्तमान विषयों और समस्याओं को लेकर लिखना बहुत जरूरी है और यदि रंगमंच का कलाकार सिनेमा जगत में भविष्य बनानाचाहता है और वो रंगमंच कर रहा है उसे रंगमंच की तरफ अपना झुकाओ कम करके सिनेमा की तरफ बढ़ना चाहिए |
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