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डॉ श्यामला मनी से प्रकृति और पर्यावरण के विषय में…



नमस्कार भारत मेरे साथ चैनल में आप सभी दर्शकों का स्वागत है। आज हम बात करेंगे डॉ श्यामला मनी से प्रकृति और पर्यावरण
के विषय में…
क्यूंकि आज के समय में जो प्रकृति और पर्यावरण के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है गॉंव और शहरों में सोसइटी कॉलोनी होटल के साथ साथ नवीनीकरण के नाम पर पेड़ पौधों को काट कर प्रकृति और पर्यावरण को नुक़सान पहुंचा जा रहा है। इससे हवा प्रदूषित हो रही है और शुद्ध स्वच्छ और स्वस्थ भोजन पानी नहीं मिल पा रहा है जिससे बिमारियों ने सभी लोगों में अपनी एक जगह बना लिया है। तो अब किस तरह से प्रकृति और पर्यावरण को शुद्ध स्वच्छ और स्वस्थ बनाना है इस पर आज बात करतें हैं।।

प्रश्न :- पर्यावरण को अपने कैरियर में प्रोफेशन में लाना कितना चुनौतीपूर्ण रहा है डॉ श्यामला मनी जी के लिए ?
उत्तर:- पर्यावरण को अपने कैरियर के लिया चुनना तो मैं कहती हूँ कि नारियों के लिए सहज होता है। क्यूंकि मुझे लगता है कि वो वैसे ही पर्यावरण के बारे में काफी जागृत रहती हैं। और एक सेंसटिव भी होती है। ये पेड़ पौधें और फूल वगैरा जैसे कोई भी जानवर को पालना या उसको अच्छी तरह से रखना यह एकउनके सहज स्वाभाव होता है। क्यूंकि स्त्रियों के अंदर मातृत्व होता है। यही एक स्वाभाव जो है वो बढ़कर पूरे पर्यावरण को अपने जहन में ले लेता है। जैसे हम पेड़ पौधों को, जानवरों को एक बच्चे की तरह देखभाल करना अच्छा लगता है वैसे ही पर्यावरण के लिए भी ऐसा ही लगता है कि हमें पर्यावरण को भी एक बच्चे कि तरह से देखना चाहिए।

प्रश्न:- वेस्ट मैनेजमेंट कि यदि बात करें तो ड्राई वेस्ट और वेट वेस्ट को मैनेज करने के लिए जनता का क्या योगदान होना चाहिए ?
उत्तर:- ड्राई वेस्ट एंड वेट्स वेस्ट का यह मामला है कि पहले जो बहुत सारी संस्थाएं रही हैं जिन्होंने सर्वे किया है तो यह स्थापित हो चूका है कि भारत में किसी भी प्रोशन [अनुबंध] में आ जाइए वहां पर आपको 50% बायोडेग्री डबल या अपने आप सड़ने गलने वाला कूड़ा घरों से मिलेगा ही मिलेगा। और अब भी हाल ही में लगभग एक साल हुआ होगा शायद हम लोगों ने पूरा डिटेल्स सर्वे ऑफ़ दिल्ली किया है। और हमको भी यही ही मिला है 50% से ज्यादा सड़ने गलने वाला कूड़ा और कूड़े में भी दो चीजें हैं एक तो है कि सड़ेगा गलेगा तो बहुत बदबू फैलाये गा दूसरी चीज ये है कि सिर्फ उसको उठाकर एक जगह में डाल दो वो वहां पर सादगी गलेगी तो मीथेन गैस पैदा होगी और मीथेन गैस जो है वो कॉर्बन डाई ऑक्साइडसे भी 28 टाइम्स से अधिक पोन्टेसी रखता है ग्लोबल वार्मिंग के लिए तो इसीसे वो हमारे पर्यावरण के लिए हमारे क्लाइमेंट चैंजेस के इशू के लिए भी वो ख़राब हैं। और ये जो सड़ने गलने वाली चीजे की बात आती है इसको कोई मतलब ऐसा बहुत डिफिकल्ट चीज का नहीं है।
यही एक हम लोग ये जो बायोडेग्री ड्रेबल या जो सड़ने गलने वाले को अलग कर देते हैं तो काफी सारा ड्राई वेस्ट जो है वो बड़े आराम तरीके से रिकवर हो सकता है और उसकी रीसाइक्लिंग भी हो सकती है।
प्रश्न:- जो पर्यावरण के खिलाफ हैं उसे स्टॉप करने का बेस्ट तरीका क्या है ?
उत्तर:- आप कोई भी पॉपुलेशन लीजिये न कि सिर्फ ह्यूमेन पॉपुलेशन लेकिन किसी भी पॉपुलेशन ऑफ एंटी किंड्स ऑफ़ लिविंग थिंग का लीजिये तो वेस्ट इज दा लिमिटिंग फ़ैक्टर.. जितना उस पर्टिकुलर वायोम में उस पर्टिकुलर नेचुरल लिविंग थिंग का वेट्स बढ़ता है। वो उस पर्टिकुलर कमेटी के लिए टॉक्सिस हो जाता है। so actually for in if you take human ..।
क्योंकि वो तो नेचुरल चीज है वो तो मलमूत्र है उसका तो क्या कर सकते हैं। वो तो उत्पन्न होगा ही होगा। लेकिन उसको भी हम यदि अच्छी तरीके से मैनेज करें तो पहले से ही उसको सेपरेट करना उसको चैनलाईज करना। उसको ऐसी जगह ले जाना कि उसकी ट्रीटमेंट हो जाए तो वो एक रिसोर्स बन सकता है। लेकिन जब वो उत्पन्न होता है तो बहुत ही ज्यादा हानिकारक हो सकता है। जैसे हम लोग देखतें हैं कि हमारे देश में ख़ासकर बहुत सारे ऐसे लोगों को मैंने होल्स के अंदर जाके काम करने का मजबूरी में उठाना पड़ा।
क्यूंकि इसे ठीक से प्रबंधित नहीं किया गया था। और ऐसी ख़तरनाक़ चीज है। कि उनमे से उत्पन्न होने वाली जो गैसेस है। ये हमारे शरीर के लिए हरिकारक है। जैसे मैंने कहा कि जो खाध प्रदार्थ है जो हम लोग बगीचे के फूल पत्ती हैं या हम लोगों के किचेन से निकल रहा है वो सब तो उत्पन्न होगा ही यदि आप उसको भी अच्छी तरह से मैनेज करते हैं। तो कोई गैस उत्पन्न नहीं होगी। यदि बहुत ज्यादा जरूरी नहीं है जिसकी रीसाइक्लिंग में समस्या होती है जिसके रखने में या जलाने में समस्या होती है उससे जो धुंवा निकलता है। और जो जला हुआ कचड़ा जो बचता है। उसके भी डालने के लिए जगह चाहिए तो ऐसी वाली चीजों को हम क्यों न कम करें।

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