प्रश्न:- रागिनी रेनू ने अपने जीवन में कश्मीर के सूफ़ी गायन को क्यों चुना ?
उत्तर:- रागिनी रेनू ने कहा कि मैंने नहीं चुना संगीत को, संगीत ने उन्हें खुद चुना है। उन्होंने कहा कि मेरा जो जन्म हुआ है वो एक संगीत घराने में हुआ है मेरे पिता जी जम्मू कश्मीर में सितारवादक और माँ जम्मू यूनिवर्सिटी में संगीत की अध्यापिका रही हैं। और घर में संगीत का माहौल शुरू से रहा है तो जब मैं होश संभाली हूँ तो मेरे कानों में हमेशा क्लासिकल म्यूजिक ही पड़ा है और हमारे घर में कभी भी फिल्मे नहीं देखी जाती थी। सिर्फ और सिर्फ क्लासिकल संगीत ही सुना जाता था तो मेरा भी जो आकर्षण था वो तीन वर्ष की आयु में ही संगीत की तरफ हो गया था और साथ साथ ऐसा माहौल भी था की दूसरी चीजों के लिए मन नहीं भटका।।
प्रश्न:- सूफ़ी संगीत क्या है जो लोगों को इतना आकर्षित करता है ?
उत्तर:- देखो सूफ़ी एक तो सच्ची वाणी है जो संत लिखते गए और सच बोलते रहे तो सच में हमेशा शक्ति होती है तो ये सच उतना ही सच था जब उन्होंने १३वीं शताब्दी या १४वीं शताब्दी में लिखा था उतना सच वो आज भी है।। वो संतों ने संगीत लिखा है किसी और ने नहीं लिखी है इसीलिए सूफ़ी संगीत में शक्ति है। दूसरी भाषा में ये भी कह सकते हैं कि सूफ़ी में बहुत साडी अलग अलग विधाएँ हैं अलग अलग तरीकें हैं। और मैं खुद में महसूस करती हूँ की अगर आप उन संतो को गाते हैं चाहे वो सुफु हो या कबीर दास होइ तुलसी दास हो मीरा हो इतय्दी जब आप उस लेवल के संतो को गातें हैं तो आपको उस तरह की सत्यनिष्ठा अपने जीवन में लानी पड़ती है सत्यनिष्ठा के वगैर नहीं होता है।।
प्रश्न:- मीरा और कबीर जैसे संतो को आप अपनी संगीत में कैसे जोड़ती हैं ?
उत्तर:- सूफ़ी गायक रागिनी कहती हैं कि उनका जो अनुभव है कि जब मैं बाबा बुल्लेशाह गीत गाती हूँ अगर मैं उनके उस एरा का कुछ गा रही होती हूँ जहाँ पर वो दर्द में है तो मैं वो दर्द महसूस करती हूँ। मेरे साथ ऐसा होता है कि गाते गाते मैं स्टेज पर रोने लगती हूँ। पर मुझे ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं वो आगये हो। और बात करे यूथ की तो जो लोग जुड़ना चाहे गें इसके साथ या नहीं जुड़ना चाहेंगे
बात यह है की ये जो संगीत है बहुत ही महत्वपूर्ण हूँ अगर मैं ये एक्स्पेक्ट करूंगी की सभी लोग इसके साथ जुड़ जाएगा और नृत्य करेंगे तो ऐसा नहीं होने वाला है।
आप तभी सुन पाओगे जब आप खुद उस लेवल पर एक्सपीरियंस कर रहे हो या एक्सपीरियंस करना चाहते हो परमात्मा को……………..
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सूफी गायन को ही क्यों चुना रागिनी रेनू ने ?
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