BharatMereSaath Blog शिव शिला अम्बिकेश्वर महादेव मंदिर आमेर जयपुर का इतिहास

शिव शिला अम्बिकेश्वर महादेव मंदिर आमेर जयपुर का इतिहास



महंत : – संतोष व्यास

नमस्कार भारत मेरे साथ के सभी दृश्को को
 आज मैं चर्चा करूंगा एक ऐसे गढ़ एक ऐसे राज्य जो शिव शंकर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में त्रेता युग के प्रभु राम चंद्र के पुत्र कुश के वंसज आज भी यंहा पर आते हैं क्युकी ये मंदिर कुश वंशज के कुल देवता के रूप में माना जाता है। इस शहर का नाम बदलना चाहते थे मुग़ल शासक लेकिन वंहा के हिन्दू राजा ने नहीं बदलने दिया था नाम —
तो जानते हैं हैं ऐसे शहर का नाम और इस मंदिर का इतिहास — यंहा के जो पुरोहित हैं जिनकी दस पीढ़ी से इस मंदिर में करते आरहे हैं पूजा अर्चना।। इस मंदिर का एक और ही इतिहास है की ये मंदिर कभी कभी लेता है जलसमाधि ……..।
जी हाँ तो आपको बता दें की राजस्थान में एक शहर है जो कई हज़ारों वर्ष पूर्व का बसा हुआ है।। इस शहर का इतिहास द्वापर के भगवान श्री कृष्णा से जुड़ा हुआ है।। ऐसा माना जाता है कि यंहा पर भगवान श्री कृष्णा आपने माता यशोदा पिता नंदबाबा और ग्वालवाल के साथ यंहा पर भ्रमण करते हुए अम्बिकावन में आये थे।। और आज भी उनके चरण चिन्ह अम्बिकावन में हैं।।। इसी अम्बिकावन से पांडव का भी कुछ इतिहास जुड़ा हुआ है।।
एक बात आपको और बता दें कि त्रेता के भगवान श्री राम का और भगवान शिव बाबा का बड़ा ही अनमोल पवित्र साधुवाद है। क्यूंकि दोनों ही एक दूसरे को पूजतें हैं।। इसी से जुडी हुयी कुछ कड़ियाँ हैं —
द्वापर का अम्बिकावन कलयुग में अम्बेर और फिर अम्बेर मुग़ल शासक के द्वारा उसका नाम आमेर रखा गया था। इस शहर में बहुत ही द्रश्य मनमोहन वाले हैं। जैसे कि आमेर किला , जलमहल , श्री जगत शिरोमणि मंदिर इतय्दी।।
इस शहर में लगभग ३६५ मंदिर का होना माना जाता हैं ३६५ मंदिरों में से एक मंदिर ये भी है जिसके नाम से ये शहर जाना जाता है जिसका नाम है अम्बिकेश्वर महादेव मंदिर ——— जिसके नाम से आम्बेर का नाम पड़ा —
जानते हैं इस मंदिर को और इस शहर के विषय में भारत मेरे साथ से सुरभि सप्रू और महंत संतोष व्यास जी के द्वारा ……।

प्रश्न: – अम्बिकेश्वर महादेव क्यों कहा जाता है, और इस अवतार की महनता क्या है ?
उत्तर: – शिवपुराण में ऐसा वर्णन है की एक राजा अमरीश हुआ करते थे। साढ़े सात हज़ार वर्ष पूर्व — राजा अमरीश ने ही इस जगह पर तप किया था इसीलिए इस जगह का नाम अम्बिकेश्वर पड़ा।
 ये आमेर जो नाम है अम्बिकेश्वर का ही दिया हुआ नाम है पहले इसको आम्बेर बोलते थे और आजकल उसे आमेर बोलने लग गए।।
इसकी भी एक छोटा सा इतिहास में एक घटना है की इस जगह का नाम बदला जा रहा था क्युकी जब बहार से मुग़ल आये थे तो उन्होंने बहुत जगहों के नाम बदले थे त्यों इस जगह का अभी नाम मोमिनाबाद करके रखा जा रहा था। तो हिन्दू राजा ने मुग़ल राजा से नाम न बदलने की बात कही तो मुग़ल शासक ने पूछा की आपके राज्य का नाम क्या है ? क्यूंकि वो नाम अम्बिकेश्वर था लेकिन हिन्दू राजा ने कहा की मेरे राज्य का नाम अम्बर है। और अम्बर उर्दू के अंदर आकाश होता है तो ऐसे करके ये आमेर नाम रखा गया।।
प्रश्न: – इस मंदिर में महादेव का क्या अवतार है और इनके दर्शन कैसे और कब होतें हैं ?
उत्तर: – आपको जानकारी के अनुसार बताना चाहूंगा की बहुत ही कम मंदिर होते हैं हो ऊपर से निचे की ओर आना पड़ता है यदि कोई भी ऐसा मंदिर है की वो नीचे है समतल स्थान के अनुसार तो वो खुदाई में मिला हैं क्यूंकि समतल जगह पर तो कोई भी मंदिर बना सकते हो। यदि वो नीचे है तो खुदाई में मिला है तो उसका इतिहास उतना ही पुराना होता हैं। एक बात आपको जानकरी के अनुसार बता दें की महादेव के शिवलिंग का कोई रूप नहीं होता हैं लेकिन अम्बिकेश्वर महादेव मंदिर में महादेव शिव शिला के रूप में विराजमान हैं।।

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