नमस्कार भारत मेरे साथ चैनल में आप सभी दर्शकों का स्वागत है। आज बात करेंगे गुरु शिष्य परम्परा की, महिलाओं के संघर्ष की, भारतीय संस्कृति की जो आज के समय में इनको कोई महत्त्व नहीं दे रहा है न मीडिया जगत न सरकार और आज के समय के पीढ़ी
जो चाहती तो सब कुछ है पर करना कुछ नहीं चाहती है ज्ञान है पर किसी का आदर सत्कार नहीं करना चाहती है इन्ही सभी बातों को लेकर चर्चा करेंगे बनारस के कथक नृत्य के कलाकार आशीष सिंह जी से जो संगीत भारतीय संस्कृति पर बात करेंगे ||
प्रश्न:- आज के समय में भारतीय कथक नृत्य और सिनेमा जगत के कथक नृत्य का कितना महत्त्व है?
उत्तर:- कथक नृत्य को लेकर कुछ कहा जाये तो बहुत लोग देख रहे हैं। इसको सुन रहे हैं और कथक करना भी चाहते हैं और कर भी रहे हैं पर यह एक थोड़ा सा बॉलीवुड कथक के नाम पर जो आजकल कार्य हो रहा है तो लोगो को रुझान उधर की तरफ ज्यादा है पर हमारा जो कथक है यह शास्त्री नृत्य जो है यह मंदिरों से ही इसका उद्गम हुआ है। ये मंदिरों से ही निकला है पर अभी भी वो परम्परा थोड़ी थोड़ी विलुप्त हो रही है। कई कई जगह पर बहुत अच्छे से होता है। जैसे वृन्दावन में कथक पर सखियाँ नृत्य करती हैं। और अयोध्या में भी होता है पर बाकीं शहरों में क्या हो रहा है इसका किसी को नहीं पता है बॉलीवुड कथक के नाम पर गलत कथक हो रहा है। पर वहीँ पर कई जगहों में शुद्ध कथक हो रहा है बाकीं बहुत सारे ऐसे गुरु लोग हैं जो उसके लिए कर्मठ हैं कथक के लिए बहुत कार्य कर रहे हैं तो अभी के प्रवेश में आधा आधा है मतलब कथक के लिए हैं लोग लेकिन बॉलीवुड कथक के लिए ज्यादा हैं।।
प्रश्न:- स्ट्रीम मीडिया जो है वो भारतीय संस्कृति पर कितना कार्य कर रही है ?
उत्तर:- स्ट्रीम मिडिया से यही कहना चाहेंगे कि सभी प्रकार की ख़बरें तो ठीक हैं। आप जितनी भी ख़बरें दिखते हैं उसके साथ अपनी भारतीय संस्कृति, परम्परा, भारतीय सभ्यता को भी उतना ही दिखाया जाये। क्यूंकि अगर आप नहीं दिखाओ गे तो भारतीय संस्कृति कैसे आगे बढ़ेगी।।
इसीलिए बाहर सारे लोग आज के समय में जैसे पंडित रवि शंकर जी और भी बहुत सारे कलाकार हैं जो देश में नहीं हैं। लेकिन वहीँ पर कुछ कलाकार दृण निश्चय थे जैसे बिसिमंला खां, गिरिजा देवी जी, किशन महाराज ये अपनी संस्कृति अपने देश के लिए जिन्होंने देश को नहीं छोड़ा
इनके कारण ही हमारे देश में संगीत बचा है क्यूंकि यह सभी बड़े गुणीजनों का डर था अब यह कलाकार नहीं है तो संगीत के नाम पर कुछ भी करते हैं। सिनेमा जगत का संगीत नृत्य या जो भी कुछ है इसका एक उप शास्त्री पक्ष है वो तो ठीक है लेकिन उसके अलावा जो इसका खूबसूरत जो सबसे जरूरी जो इसका पक्ष है वो है क्लासिकल शुद्ध गायन वादक और नृत्य उसके तरफ लोगों का रुझान हो इसके लिए स्ट्रीम मीडिया को बहुत काम करना पड़ेगा। इनको अपनी भारतीय संस्कृति के लिए उसकी ख़बरें दिखानी पड़ेगी नहीं तो फिर बहुत मुश्किल है फिर लोग वही कहते हैं न कि संगीत में एक शक्ति तो है कि हम लोग निरोगी हो जाते हैं वो फ़िल्मी संगीत से नहीं होगा वो जब भी होगा क्लासिकल संगीत से ही होगा। तो उसके लिए मीडिया जगत को बढ़ावा देना पड़ेगा।।
प्रश्न:- आज के समय में गुरु शिष्य परम्परा में कितना आदर सत्कार रह गया है ?
उत्तर:- आज के समय में शिष्य गुरु को नहीं मानते हैं और बहुत जरूरी है कि जिनसे भी गुरुओं से आपने जो भी कुछ सीखा है आपका अपना दायित्व है उनके लिए ईमानदारी से रहना। लेकिन गुरु शिष्य परम्परा अभी कहीं न कहीं विलुप्त होती सी नजर आ रही है अब इसके लिए हम सरकार को भी बोलेंगे कि अगर वो भी थोड़ा इस परम्परा को संरक्षित करे गुरुओं कोई ढूंढ के ! क्यूंकि आजकल लोग ढूढ़ना नहीं चाहते हैं। और यह भी जरूरी नहीं होता कि जो बहुत प्रसिद्द है और उनका बहुत नाम है तो बहुत सही गुरु है। और जिनका नाम नहीं है जो प्रसिद्ध नहीं है वो गुरु नहीं है ऐसा बिलकुल भी नहीं है। और हमारे क्षेत्र में कथक गुरु में महिलाओं का भी बहुत योगदान रहा है जो महिला कलाकार रही है उनकी तरफ सरकार की कोई दृष्टि नहीं है। क्यूंकि बहुत से बनारस में और बहुत अलग अलग जगहों पर कलाकार हैं जिन्होंने बनारस को बहुत सम्मान दिलाया है। पर आज वही महिलाऐं 60 – 80 साल की हैं पर कोई उनकी तरफ ध्यान देने वाले कोई भी नहीं है। ये बहुत अजीब लगता है मुझे देख कर सुनकर क्यूंकी महिला महिला कलाकर का संघर्ष सबसे ज्यादा होता है। क्योंकि वो घर परिवार देखती है सास ससुर पीटीआई बच्चे को देखती हैं इनके साथ साथ मायका को भी देखना पड़ता है। और वो अपनी कला का भी प्रदर्शन कर रही है और बच्चों को सीखा भी रही हैं तो उनका पुरुषों से बहुत ज्यादा योगदान है
भारतीय संस्कृति और कला के क्षेत्र में महिलाओं का संघर्ष के अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करे और चैनल को लाइक, सब्सक्राइब, कमैंट्स जरूर करें।
